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क्रिएटिव लोगों को हमेशा कुछ ना कुछ करते रहना बहुत जरूरी है - निशांक वर्मा

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Sep 13, 2019

अभिनेता निशांक वर्मा टीवी विज्ञापनों की दुनिया में एक बहोत ही जाना माना चेहरा है। सभी बड़े ब्रांड्स के लिए, बड़े बड़े आर्टिस्ट्स के साह उन्होंने काम किया है। निशांक का मानना है की क्रिएटिव लोगों को हमेशा कुछ ना कुछ करते रहना बहुत जरूरी है, ऐसे ही आप आगे बढ़ते हैं। टीवीसी, शॉर्ट फिल्मों, नाटकों और फीचर फिल्मों में परफॉर्म करने के बाद, एक्टर निशांक वर्मा का कहना है कि "थिएटर एक्टर" और "फिल्म एक्टर" दोनों को क्राफ्ट की जरूरत होती है। "मेरे लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते रहना, पढ़ना, अपने स्किल और क्राफ्ट को बार बार प्रैक्टिस करना, या फिर कुछ नया सीखना बहुत जरूरी है। मैने स्टेज नाटक और नुक्कड़ नाटक भी किया है, फिल्में और शॉर्ट फिल्में भी की है, टीवीसी, वीडियोज, वेब सीरीज, म्युजिक, टीवी एपिसोड भी किया है। मैं खुद एक कहानीकार हूं। कहानी को लिखना और डायरेक्ट करना भी पसंद करता हूं। कलाकार होने के नाते, हमेशा खुद को किसी क्रिएटिव काम में व्यस्त रखना बहुत जरूरी समझता हूँ।"

टूल्स और क्राफ्ट फिल्मों और थिएटर के लिए जरूरी मानते हैं निशांक

अभिनेता निशांक वर्मा, को आखिरी बार अक्षय कुमार के साथ फिल्म गोल्ड में देखा गया था। निशांक थिएटर की पृष्ठभूमि से हैं। हालांकि उन्हें रिअल नेम और फेम कमर्शियल सिनेमा से मिला। निशांक का मानना ​​है कि टूल्स और क्राफ्ट फिल्मों और थिएटर में परफॉर्म करने के लिए बहुत इंपॉर्टेंट हैं। थिएटर और सिनेमा के बारे में बात करते हुए, निशांक ने कहा, "थियेटर और सिनेमा में ज्यादा फर्क नहीं होता है। दोनों में ही आपको परफॉर्म करना पड़ता है, जिसके लिए आपकी तैयारी पक्की होनी चाहिए। एक अच्छी और रिअल परफॉरमेंस दोनों ही मीडियम की मांग है और अगर आपकी तैयारी पूरी है, आपकी क्राफ्ट आपके पकड़ में है, तो वह आपके काम में दिखाई देगी और अप्रिशिएट भी की जाएगी। नाटकों में अक्सर प्रतिक्रिया तुरंत मिल जाती है, जबकि सिनेमा में दांव ज्यादा बड़ा लगा होता है, और कभी कभी उसकी प्रतिक्रिया काफी निराशाजनक भी हो सकती है।" इन दिनों निशांक अपनी अपकमिंग फिल्म 'सेक्शन 375' में व्यस्त है। फिल्म को अजय बहल ने डायरेक्ट किया है। इसकी कहानी इंडियन पेनल कोड के सेक्शन 375 पर फोकस करती है।