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जीवित लोग क्यों करते हैं गया के जनार्दन मंदिर में आत्मश्राद्ध?

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Aug 24, 2025

जीवित लोग क्यों करते हैं गया के जनार्दन मंदिर में आत्मश्राद्ध?

पितृपक्ष 2025, 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान पूर्वजों के श्राद्ध और पिंडदान का विशेष महत्व है। बिहार के गया में स्थित जनार्दन मंदिर दुनिया का एकमात्र स्थान है, जहां जीवित लोग अपना श्राद्ध करते हैं। मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु स्वयं पिंड ग्रहण करते हैं। यह प्रथा खासकर उन लोगों में प्रचलित है, जिनके कोई संतान नहीं या जो वैराग्य जीवन जीते हैं।

आत्मश्राद्ध का महत्व

गया को पितृश्राद्ध का प्रमुख तीर्थ माना जाता है। यहां 54 पिंडवेदी और 53 पवित्र स्थल हैं। जनार्दन मंदिर में आत्मश्राद्ध करने से पितृऋण से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह प्रथा उन लोगों के लिए विशेष है, जिनके बाद पिंडदान करने वाला कोई नहीं होगा।

आत्मश्राद्ध की प्रक्रिया

आत्मश्राद्ध तीन दिनों में पूरा होता है। पहले दिन वैष्णव सिद्धि का संकल्प और पापों का प्रायश्चित किया जाता है। फिर जनार्दन स्वामी मंदिर में पूजा, जाप और दही-चावल के तीन पिंड अर्पित किए जाते हैं। इसमें तिल का उपयोग नहीं होता। श्रद्धालु भगवान से मोक्ष की प्रार्थना करते हैं।

Report By:
Monika