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सरोजिनी नायडूः एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता

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Feb 13, 2020

'भारत कोकिला' के नाम से जानी जाने वाली सरोजिनी नायडू का जन्म आज ही के दिन हुआ था। जी हाँ, आपको बता दें कि सरोजिनी नायडू एक मशहूर कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और अपने दौर की महान वक्ता भी थीं। सरोजिनी नायडू का जन्म भारत के हैदराबाद 13 फरवरी 1879 में हुआ था और वह बहुत मशहूर हुईं थीं। सरोजिनी अपनी कविताओं में टूटे सपनों, शक्ति, आशा, जीवन और मृत्यु, गौरव, सौंदर्य, प्रेम, अतीत और भविष्य के बारे में बात करती थी और वह अपनी कविताओं में इतने सारे भावनाओं को शामिल करती थी कि लोग पढ़कर भावुक हो जाते थे। इसी कारण से उन्हें "भारत कोकिला" का नाम दिया गया।

13 साल की आयु में "लेडी ऑफ दी लेक" नामक कविता रची

आपको बता दें कि सरोजिनी के पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान थे और माँ वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। वहीं सरोजिनी कुल आठ भाई-बहन थे जिसमें वह सबसे बड़ी थीं और उनके एक भाई विरेंद्रनाथ क्रांतिकारी थे और एक भाई हरिद्रनाथ कवि, कथाकार और कलाकार थे। इसी के साथ सरोजिनी नायडू बचपन से ही होनहार थीं और वह कई भाषाओँ जैसे उर्दू, तेलगू, इंग्लिश, बांग्ला और फारसी भाषा में निपुण थीं। सरोजिनी बचपन से ही बुद्धिमान थी और उन्होंने 12 साल की छोटी आयु में ही बारहवी की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ पास कर ली थी। उन्होंने 13 साल की आयु में "लेडी ऑफ दी लेक" नामक कविता रची।

"गोल्डन थ्रैशोल्ड" थी उनकी पहली कविता संग्रह

आपको बता दें कि उनकी पहली कविता संग्रह का नाम "गोल्डन थ्रैशोल्ड" था। इसी के साथ सरोजिनी की कविता "बर्ड ऑफ टाइम" तथा "ब्रोकन विंग" ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। साल 1898 में सरोजिनी नायडू ने डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू से शादी कर ली और साल 1914 में इंग्लैंड में नायडू पहली बार गांधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। उसके बाद साल 1925 में कानपूर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनीं और 1932 में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं लेकिन 2 मार्च 1949 को लखनऊ में अपने कार्यालय में काम करने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से वह दुनिया को छोड़कर चली गईं।