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पहला चरण तय करेगा मोदी की लहर और मोहन का असर

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Apr 17, 2024

भाजपा का फोकस छिंदवाड़ा पर कांग्रेस ने आदिवासी सीटों पर झोंकी ताकत

भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मप्र की 6 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। पहले चरण का मतदान मप्र में मोदी की लहर और मुख्यमंत्री मोहन यादव के असर को तय करेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मप्र में पिछले साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 6 लोकसभा सीटों में शामिल विधानसभा सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन, पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर रहा है। स्वराज डिजिटल के वोटों के विश्लेषण में यह तस्वीर निकलकर आई है।

देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटिंग का ट्रेंड अलग अलग है। मतदाता इतना समझदार है कि विधानसभा चुनाव में वह जिस पार्टी को वोट देता है, जरूरी नहीं है कि लोकसभा चुनाव में भी उसी पार्टी को वोट करे। मतदाता की पसंद देश चलाने और प्रदेश चलाने को लेकर बिल्कुल अलग है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दलों का वोट शेयर का ग्राफ एक समान नहीं रहता है। मोदी युग में यह धारणा और भी मजबूत हुई है। मप्र का वोटिंग ट्रेंड भी इससे अछूता नहीं है, लेकिन इस चुनाव में भी यही ट्रेंड बना रहेगा या कुछ बदलाव होगा। यही समझने की कोशिश करेंगे। क्योंकि जिन 6 सीटों के वोटिंग ट्रेंड का विश्लेषण किया है, उनकी कहानी इस धारणा से कुछ अलग जाती दिख रही है।

मप्र में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बड़ा अंतर था, जहां विधानसभा चुनाव में शिवराज का जादू उतर गया था। प्रदेश की जनता ने शिवराज को सत्ता से बाहर कर दिया था। वहीं 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर ऐसा था कि कांग्रेस प्रदेश की 29 में से सिर्फ 1 सीट ही जीत पाई थी। चार साल बाद हुए  2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मप्र में शानदार जीत दर्ज की।

बात करें उन 6 लोकसभा सीटों की जहां पर पहले चरण में मतदान होना हैं तो उन सीटों में सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा लोकसभा शामिल हैं। इन 6 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव और 2023 के विधानसभा चुनाव में मिले वोटिंग ट्रेंड बदला हुआ है। भाजपा को इन सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 लाख 55 हजार वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 28 लाख 9 हजार वोट मिले थे। दोनों के बीच वोटों का अंतर 14 लाख 46 हजार था। वहीं 4 साल बाद यानी 2023 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तब इन 6 सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन में वोट गणित में कोई बदलाव नहीं हुआ। भाजपा को इन सीटों पर कुल 42 लाख 37 हजार वोट मिला, जो कि लोकसभा चुनाव में मिले वोटों से सिर्फ 17 हजार वोट ही ज्यादा है। वहीं कांग्रेस को विस चुनाव में 37 लाख 53 हजार वोट मिला, जो कि लोकसभा चुनाव में मिले वोटों के मुकाबले करीब 9 लाख वोट ज्यादा था। यह स्थिति तब है जबकि लोकसभा चुनाव के 4 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर वोटरों की संख्या करीब 15 लाख बढ़ गई थी। तब भी भाजपा को बढ़े हुए वोट में से मात्र 18 हजार वोट ही मिले,  जबकि कांग्रेस के अप्रत्याशित रूप से 9 लाख वोट बढ़कर मिले। हालांकि इन 6 लोकसभा सीटों में शामिल विधानसभा की 47 सीटों में से 28 पर भाजपा को जीत मिली और 19 पर हार का सामना करना पड़ा।  

 हर सीट पर अंतर कम

भाजपा को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पहले चरण में शामिल 6 लोकसभा सीटों और उनमें शामिल विधानसभा सीटों पर वोटों का नुकसान ही हुआ है। सीधी लोकसभा सीट जहां भाजपा ने 2 लाख 86 हजार वोट से जीती थी। वहीं विधानसभा चुनाव में इस सीट में शामिल विधानसभा सीटों पर यह अंतर घटकर 1 लाख 74 हजार वोट रह गया। इसी तरह शहडोल में जीत का अंतर 4 लाख से घटकर 2 लाख रह गया। वहीं जबलपुर में भी वोट का अंतर 4 लाख 54 हजार से घटकर 2 लाख रह गया।

मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में बड़ा झटका

पहले चरण के मतदान वाली इन 3 सीटों पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कहानी पूरी तरह से पलट गई है। मंडला में जहां भाजपा 97 हजार वोटों से 2019 का लोकसभा चुनाव जीती थी वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा में शामिल विधानसभा सी 8 सीटों पर यह अंतर खत्म कर कांग्रेस 16 हजार वोटों से आगे निकल गई। वहीं बालाघाट में भी भारी बदलाव हुआ। जहां लोकसभा चुनाव 2 लाख 42 हजार वोटों से जीता था वहीं विधानसभा में इसमें शामिल सीटों पर अंतर मात्र 3506 वोट का रह गया। छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव भाजपा 37 हजार वोटों से हारी थी। वहीं विधानसभा चुनाव में यह अंतर भी बढ़कर 94 हजार हो गया है।

मोदी-मोहन की लहर और विष्णु के संगठन पर दारोमदार

लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए पहले चरण के मतदान में शामिल 6 सीटों पर बड़ी चुनौती है। यह चुनौती सीट जीतने की तो है, जिसमें भाजपा चुनावी माहौल एवं रणनीति से जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है. परंतु भाजपा का वोट प्रतिशत 68 प्रतिशत लेकर जाने का लक्ष्य थोड़ा दुश्कर है। इसके लिए भाजपा को इन 6 सीटों पर करीब 57 लाख वोट हासिल करना होंगे, यानी 2019 में मिले 42 लाख वोट में करीब 15 लाख वोट का इजाफा भाजपा को करना होगा। यह लक्ष्य आसान नहीं है, किंतु मोदी की लोकप्रियता, मप्र में मुख्यमंत्री मोहन यादव के काम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की संगठन क्षमता से यह मुश्किल भी नहीं है।

कांग्रेस को कमलनाथ की कला और आदिवासियों पर भरोसा

उधर, कांग्रेस भी 2023 के विधानसभा में जिस तरह से भाजपा को वोटों का ठहराव हुआ है, उससे उत्साहित है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि इस बार मोदी का जादू नहीं चलेगा। महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे और मप्र सरकार की नाकामी का वोट कांग्रेस के खाते में जाएगा। वहीं आदिवासी वोटों पर पार्टी को पूरा भरोसा है। राहुल गांधी की आदिवासी क्षेत्रों में यात्रा को भी कांग्रेस फायदे के तौर पर देख रही है। वहीं छिंदवाड़ा में भाजपा के तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि छिंदवाड़ा में कमलनाथ ही रहेंगे कमल नहीं खिल सकेगा।

वर्शन

पहले चरण के मतदान में मतदाताओं के झुकाव से यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में मप्र में क्लीन स्वीप का सपना पूरा होगा या नहीं..हालांकि 68 फीसदी वोट का लक्ष्य इन 6 सीटों पर हासिल करना आसान नहीं होगा।

राजनैतिक विश्लेषक

 

Report By:
ASHI SHARMA