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भांजे के श्राप से मामा की बारात हुई पत्थर की, आज भी ढोल नगाड़े की आवाज़ करते हैं महसूस

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Feb 14, 2019

अमित चौरसिया- नैनपुर से 15 किलोमीटर दूर मंडला, बालाघाट जिले की सीमा पर एक गांव है देवडोंगरी, जहां पर पहाड़ी के ऊपर एक ऐसा स्थान है जहां पर पूरी बारात पत्थर की हो गई। यहां पर आज भी लोगों ने ढोल, नगाड़े की आवाज़ को महसूस किया है।

घोड़े पर बैठा दूल्हा, पालकी पर बैठी दुल्हन सहित पूरी बारात पत्थर की

हमारा देश चमत्कारों एवं मान्यताओं का देश है कई जगह के रहस्यों को कोई नहीं सुलझा पाया ऐसा ही स्थान है देवडोंगरी। जहां बियाबान जंगल के बीच पूरी की पूरी बारात पत्थर की मूर्तियां के रूप में दिखाई देती हैं। पत्थर के शादी का सामान लोगों को आश्चर्य में डालते हैं। लोगों के अनुसार जो यहां प्रचलित है कि यहां पहले लंबे समय तक गोंड राजाओं का राज था। यहां पर पत्थर की मूर्ति आज भी इतिहासकारों के लिये शोध का विषय हैं। यहां घोड़े पर बैठा दूल्हा, पालकी पर बैठी दुल्हन, बैंड बाजा सहित पूरी बारात पत्थर की है।

भांजे के क्रोध का शिकार बना अभिमानी मामा

जंगल में ये मूर्तियां कहां से आई किसी को नहीं मालूम। कहते हैं कि अंग्रेजों ने जंगल मे बिखरी मूर्तियां को इकट्ठा कर, टीन का एक शेड बनाकर, उन्हें सुरक्षित कर दिया। यह भी बताया जाता है कि यहां गोंड समाज में परते जाति की गढ़ी है। लोगों का कहना है कि गोंड शासन के समय यहां परते परिवार में शादी थी, उसमें मामा ने अपने भांजे को नहीं बुलाया। भांजे को इस बात का बहुत बुरा लगा और जब मामा की बारात दुल्हन को लेकर वापस आ रही थी, तब भांजे को बड़ा क्रोध आया और भांजे ने मामा को श्राप दे दिया कि अभिमानी मामा की बारात पत्थर हो जाय और बारात पत्थर की हो गई।

सात साल पहले ही पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया

माना जाता है कि आदिवासी में तंत्र मंत्र को ज्यादा माना जाता है और उसी तंत्रमंत्र के सहारे भांजे ने मामा की पूरी बारात पत्थर की कर दी। यहां सभी आते जाते हैं, पूजा करते हैं, लेकिन आज भी परते समुदाय का कोई भी यहां नही आता। यदि आता भी है तो उसके साथ कोई भी अनहोनी हो जाती है। सात साल पहले पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया लेकिन इन मूर्तियों के इतिहास से अभी पर्दा उठना बाकी है और इस स्थान को पर्यटन स्थल के मानचित्र में लेने का काम भी बाकी है।