Aug 5, 2025
भोपाल मेट्रो: पीएम मोदी को न्योता, फिर बढ़ी प्रोजेक्ट की डेडलाइन, अब जून 2028 तक पूरा होगा काम
इंट्रो: भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की समय सीमा एक बार फिर बढ़ गई है। प्रायोरिटी कॉरिडोर को अक्टूबर 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाने की योजना है, लेकिन पूरी लाइन का काम अब जून 2028 तक पूरा होगा। मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने विधानसभा में लिखित रूप से इसकी जानकारी दी। लागत में भी बढ़ोतरी का आकलन चल रहा है, और निजी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी जारी है।
प्रायोरिटी कॉरिडोर पर फोकस:
भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर, जो सुभाष नगर से AIIMS तक 7.5 किलोमीटर का है, को अक्टूबर 2025 में शुरू करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में इस कॉरिडोर पर मेट्रो का ट्रायल रन लिया और इसकी सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रायोरिटी कॉरिडोर को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इस कॉरिडोर में 8 एलिवेटेड स्टेशन होंगे, और इसके लिए 2,225 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है।
पूरी लाइन के लिए नई समय सीमा:
हालांकि प्रायोरिटी कॉरिडोर को 2025 में शुरू करने की योजना है, लेकिन भोपाल मेट्रो की पूरी लाइन, जिसमें ओरेंज और ब्लू लाइन शामिल हैं, अब जून 2028 तक पूरी होगी। मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (MPMRCL) ने विधानसभा में बताया कि शुरुआती डेडलाइन नवंबर 2022 थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इसे 2028 तक बढ़ाया गया है। ओरेंज लाइन, जो AIIMS से करोद तक 16.69 किलोमीटर की है, में 16 स्टेशन होंगे, जबकि ब्लू लाइन, जो भदभदा स्क्वायर से रतनगिरी तिराहा तक 14.16 किलोमीटर की है, में 14 स्टेशन होंगे।
लागत में बढ़ोतरी और जमीन अधिग्रहण:
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 6,941.40 करोड़ रुपये थी, जिसमें से प्रायोरिटी कॉरिडोर के लिए 2,225 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे। हालांकि, देरी के कारण लागत में बढ़ोतरी का आकलन किया जा रहा है। विधानसभा में बताया गया कि ओरेंज लाइन की लागत 4,406.57 करोड़ रुपये थी, और अब इसमें और वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, 3.2 हेक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण प्रस्तावित है, जिसके लिए प्रशासन के माध्यम से प्रक्रिया चल रही है।
पर्यावरण और सुविधा पर जोर:
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि भोपाल मेट्रो न केवल सुविधाजनक और समय की बचत करने वाला परिवहन साधन होगा, बल्कि यह प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। मेट्रो में आधुनिक सुविधाएं जैसे लिफ्ट, एस्केलेटर, और दिव्यांगजनों के लिए विशेष व्यवस्थाएं होंगी। प्रोजेक्ट के लिए 27 अत्याधुनिक ट्रेन सेट्स की योजना है, जिनमें से 7 भोपाल पहुंच चुके हैं।
चुनौतियां और समाधान:
प्रोजेक्ट में देरी का मुख्य कारण जमीन अधिग्रहण और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी रहा है। पहले चरण में भोपाल नगर निगम, पुलिस, और लोक निर्माण विभाग जैसे संगठनों के साथ समन्वय की समस्याएं सामने आई थीं। अब दूसरे चरण के लिए MPMRCL ने नई रणनीति अपनाई है, जिसमें सभी जरूरी मंजूरी पहले से लेने और एक साथ पूरे रूट पर निर्माण शुरू करने की योजना है। इससे 24 से 36 महीनों में चरण 2 पूरा होने की उम्मीद है।