May 11, 2025
भारतीय रेलवे में पहली बार फाइबर ऑप्टिक सिग्नलिंग सिस्टम .निशातपुरा यार्ड से शुरू हुई नई तकनीक, 2026 तक भोपाल-बीना रूट होगा हाईटेक !
रेल सुरक्षा और संचालन के क्षेत्र में भारत ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल के अंतर्गत आने वाले निशातपुरा यार्ड में देश की पहली फाइबर ऑप्टिक आधारित सिग्नलिंग प्रणाली का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया गया है। यह तकनीक पारंपरिक भारी वायरिंग सिस्टम को पीछे छोड़ते हुए, सीधे कंट्रोल रूम से ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए सिग्नल संचालन की सुविधा देती है।
क्या है यह नई तकनीक?
इस स्मार्ट सिग्नलिंग सिस्टम में "लैम्प आउटपुट मॉड्यूल" नामक डिवाइस को सिग्नल पोस्ट पर लगाया गया है, जो सीधे कंट्रोल रूम से ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए जुड़ा रहता है। इसका मतलब है अब किसी भी सिग्नल को रियल टाइम में तेज़, सटीक और बिना किसी मैन्युअल बाधा के कंट्रोल किया जा सकेगा।
अब ब्लैंक सिग्नल का डर नहीं
पारंपरिक सिस्टम में तकनीकी खराबी की स्थिति में ट्रेन चालकों को सिग्नल अस्पष्ट दिखते थे, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना रहती थी। लेकिन फाइबर ऑप्टिक प्रणाली में हर सिग्नल का रंग स्पष्ट और भरोसेमंद रहेगा, जिससे सेफ्टी और टाइमिंग दोनों बेहतर होगी।
तकनीकी फायदे जो रेलवे का भविष्य बदल सकते हैं:
ब्लैंक सिग्नल की समाप्ति: खराबी के बावजूद सिग्नल का रंग साफ दिखेगा।
बढ़ेगी ट्रेनों की समयबद्धता: सिग्नल व्यवधान से देरी अब बीते ज़माने की बात होगी।
स्मार्ट कूलिंग सिस्टम: उपकरण गरम होने पर ऑटोमैटिक पंखा चालू हो जाएगा।
ड्यूल फाइबर बैकअप: एक लाइन फेल होने पर दूसरी लाइन से संचालन निर्बाध रहेगा।
कम लागत, ज़्यादा सुरक्षा: रखरखाव आसान, खर्च कम और विश्वसनीयता अधिक।
भोपाल से बीना तक अगले चरण की तैयारी
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री सौरभ कटारिया ने जानकारी दी कि यह तकनीक सबसे पहले निशातपुरा यार्ड के दो सिग्नल—S/SH-15 और S/SH-16—पर लागू की गई है। जून 2026 तक इसे भोपाल से बीना के बीच के पूरे रेलखंड में लागू किया जाएगा। इसके बाद इसे देश के अन्य बड़े और व्यस्त रेल रूट्स पर भी विस्तार देने की योजना है।