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नया वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू, करदाताओं के सामने रखे गये दो विकल्प

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Mar 31, 2020

नई दिल्ली: देश में जारी कोरोना वायरस संकट के बीच चालू वित्त वर्ष एक दिन पहले 31 मार्च को समाप्त हो गया और आज एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है। हालांकि इससे पहले कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष की मियाद बढ़ाने की खबरें आई थीं, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया है। सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि एक अप्रैल 2020 से ही नया वित्त वर्ष शुरू होगा। इसके तहत टैक्स, बैंकिंग और उद्योग सहित कई क्षेत्रों के नियमों में बदलाव होगा जिसका उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा। दरअसल बजट 2020 में घोषित किए गए नए आयकर स्लैब को अप्रैल से लागू किया जा रहा है। अब करदाताओं के सामने दो विकल्प होंगे। कर दाता चाहें तो टैक्स छूट की सभी रियायतों को छोड़कर घटी हुई नई दरों पर कर चुका सकते हैं। अगर वे रियायतों का लाभ लेना चाहते हैं तो मौजूदा दरों का विकल्प चुनना होगा। सरकार ने बजट में नए आयकर स्लैब में टैक्स की दर घटाकर 5 फीसदी, 10 फीसदी, 15 फीसदी, 20 फीसदी, 25 फीसदी और 30 फीसदी कर दिया था।

डिविडेंड पर 10 फीसदी वितरण कर खत्म

बजट में कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स हाउस की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर 10 फीसदी वितरण कर खत्म कर दिया गया है। अब यह टैक्स लाभांश पाने वाले निवेशक को देना होगा, जो उसके आयकर स्लैब के अनुरूप लागू होगा। यानी, अगर आप म्यूचुअल फंड से लाभांश लेते हैं, तो यह आपकी आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स देना होगा। बता दें कि ज्यादा वेतन पाने वाले कर्मचारियों के ईपीएफ और एनपीएस को टैक्स के दायरे में लाया गया है। अगर नियोक्ता की ओर से इन कर्मचारियों के ईपीएफ, एनपीएस या सुपरएनुएशन में सालाना 7.5 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश होगा, तो उस पर आयकर स्लैब के अनुरूप टैक्स देना होगा। यह व्यवस्था आयकर के नए और पुराने दोनों ही विकल्पों पर लागू की है।

ईसॉप नियम बुधवार से लागू

बजट में स्टार्टअप के लिए आसान बनाए गए ईसॉप नियम बुधवार से लागू हो जाएंगे। इसके तहत स्टार्टअप को ईसॉप पर 5 साल बाद टैक्स का भुगतान करना होगा। एम्प्लाई स्टॉक ऑनरशिप प्लान (ईसॉप) के तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए शेयरों में हिस्सेदारी देती हैं। अभी तक 200 शुरुआती स्तर के स्टार्टअप को ही ईसॉप का लाभ मिलता था। जीएसटी परिषद ने पिछले दिनों मोबाइल पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया था। 1 अप्रैल से नई दरें लागू होने के बाद मोबाइल खरीदना महंगा हो जाएगा।