Oct 12, 2025
छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों का आतंक....गरियाबंद में हाथी के हमले से एक ग्रामीण की मौत...तो वहीं अंबिकापुर में किसानों की फसल को पहुंचाया नुकसान ।
गरियाबंद में हाथी का खौफनाक हमला: बीमार गजराज ने रौंदा जंगल सिंह को, NH-130C पर दो दिनों से मौत का साया!
लोकेश्वर सिन्हा, गरियाबंद: गरियाबंद के जंगलों में एक ऐसी त्रासदी घटी है जो रोंगटे खड़े कर देगी – कल्पना कीजिए, रात का सन्नाटा, एक बीमार हाथी का गुस्सैल साया, और एक साधारण ग्रामीण की चीखें जो हवा में गुम हो जाएं! जी हां, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर तहसील के तोरेंगा गांव में शनिवार रात को 45 वर्षीय जंगल सिंह कमार की जंगली हाथी के हमले में दर्दनाक मौत हो गई। हाथी के झुंड से बिछड़ा ये बीमार जानवर पिछले दो दिनों से नेशनल हाईवे 130C पर घूम रहा था, और अब वन विभाग की टीमें घटनास्थल की ओर दौड़ पड़ी हैं। ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि मानव-वन्यजीव द्वंद्व की चेतावनी है – आइए, इस डरावनी रात की पूरी ड्रामा स्टोरी को उकेरें!
रात का खौफ: शौच जाते ग्रामीण पर गजराज का कहर
सोचिए, तोरेंगा गांव का शांत कोदोमाली इलाका, जहां जंगल सिंह कमार अपनी साधारण जिंदगी जी रहे थे। शनिवार रात, शौच के लिए खेत की ओर बढ़े, लेकिन अंधेरे में छिपा था मौत का राजा! बीमार हाथी, जो झुंड से अलग होकर भटक रहा था, ने उन्हें देखते ही बौखलाया। सूंड से उठाया, जमीन पर पटका, और कुचल-कुचल कर रौंद डाला। सुबह ग्रामीणों को खून से सना शव मिला – चीखें, खून की लालिमा, और वो खौफ जो पूरे गांव को थर्रा गया। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं, "हाथी की आंखों में दर्द था, लेकिन गुस्सा आग की तरह!" NH-130C पर दो दिनों से ये विचरण जारी था – ट्रक चालक रुक-रुक जाते, ग्रामीण घरों में कैद। जंगल सिंह का परिवार अब आंसुओं में डूबा, उनकी आखिरी सांस ने पूरे इलाके को झकझोर दिया।
बीमार हाथी का रहस्य: झुंड से बिछड़ा, NH पर आतंक
ये हाथी कोई साधारण नहीं – झुंड से अलग, बीमारी से त्रस्त, लेकिन ताकतवर। उदंती-सीता नदी अभयारण्य के आसपास भटकते हुए ये NH-130C पर उतर आया। दो दिनों से फसलें तबाह, रातें डरावनी – जैसे कोई जंगल का भटका भूत! विशेषज्ञों का मानना है, भुखमरी और दर्द ने इसे आक्रामक बना दिया। ग्रामीण चिल्लाते, "ये तो मां सरस्वती का वाहन, लेकिन आज यमराज!" वन विभाग ने अलर्ट जारी किया – जंगल न जाएं, आवाज न करें। लेकिन देर हो चुकी थी, जंगल सिंह इसका शिकार। ये घटना छत्तीसगढ़ के बढ़ते हाथी संघर्ष को आईना दिखाती है, जहां जंगल सिकुड़ रहे, और जानवर शहरों की ओर।
रेस्क्यू रेस: वन टीम रवाना, परिवार को मुआवजा
सुबह होते ही वन विभाग की टीमें दौड़ीं – ट्रैकर्स, डॉक्टर, और ड्रोन हाथी को ढूंढने को बेताब। उदंती अभयारण्य के डिप्टी डायरेक्टर वरूण जैन ने पुष्टि की, "टीम घटनास्थल पर, हाथी को सुरक्षित झुंड में लौटाएंगे।" जंगल सिंह के परिवार को 4 लाख का मुआवजा मिलेगा, लेकिन पैसे दर्द नहीं मिटाएंगे। ग्रामीण हड़ताल पर उतर आए – "हाथी को भगाओ, या हम भागें?" पुलिस ने इलाके सील कर दिया, लेकिन सवाल वही – जंगल और इंसान कब मिलेंगे? वन्यजीव प्रेमी कहते हैं, "हाथी निर्दोष, बीमारी ने बिगाड़ा।"