Oct 12, 2025
कोयला खदानों में मौत का जाल: SECL अमलाई OCM में मिट्टी का कहर, डोजर ऑपरेटर अनिल की लापता जिंदगी पर सवालों का पहाड़!
शहडोल के कोयला क्षेत्र में एक ऐसी त्रासदी घटी है जो दिल दहला देने वाली है – कल्पना कीजिए, गहरा गड्ढा, पानी की भयानक लहरें, और एक डोजर मशीन जो अचानक मिट्टी के पहाड़ तले दब जाती है! जी हां, मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में SECL की अमलाई ओपन कास्ट माइंस (OCM) में रविवार, 12 अक्टूबर 2025 को ये भयावह हादसा हुआ। R.K.T.C कंपनी के टीपर ऑपरेटर अनिल कुशवाहा समेत डोजर गायब हो गए, जबकि शिफ्ट इंचार्ज मुनीम यादव को जानते-जानते घंटों मलबे में दबे रहना पड़ा। SDRF की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं, लेकिन कंपनी की लापरवाही ने पूरे इलाके में आक्रोश की आग भड़का दी है। ये सिर्फ हादसा नहीं, बल्कि सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ का काला अध्याय है – आइए, इस डरावनी कहानी को खोलते हैं, जहां हर पल उम्मीद और डर की जंग चल रही है!
हादसे का खौफनाक सीन: ढलान से फिसली मौत की चट्टान
सुबह के धुंधले आसमान तले अमलाई OCM में OBI शिफ्टिंग का काम जोर-शोर से चल रहा था। धनपुरी थाने के दायरे में ये खदान, जहां कोयले के काले हीरे निकलते हैं, अचानक मौत का कुआं बन गई। ढलान वाले खतरनाक इलाके में मिट्टी खिसकी, जैसे कोई प्राकृतिक भूकंप! चार कर्मचारी मलबे की चपेट में आए – दो ने चिल्लाते हुए भागकर जान बचाई, लेकिन शिफ्ट इंचार्ज मुनीम यादव मिट्टी के ढेर तले दबे रहे। घंटों की मशक्कत के बाद स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस ने उन्हें खींचकर बाहर निकाला, लेकिन उनकी हालत गंभीर है। डोजर मशीन पानी भरे गड्ढे में समा गई, और ऑपरेटर अनिल कुशवाहा? वो अब भी लापता हैं! घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई – चीखें, धूल का गुबार, और वो खामोशी जो डराती है। SECL के कर्मचारी स्तब्ध हैं, क्योंकि ये पहला ऐसा हादसा नहीं, लेकिन इतना भयानक जरूर!
कंपनी की लापरवाही: 4 अरब का ठेका, सुरक्षा का कचरा!
अब आता है वो काला सच जो गुस्से को और भड़का देगा! R.K.T.C कंपनी के पास SECL से करीब 4 अरब रुपये का उत्खनन ठेका है, लेकिन सुरक्षा मानकों को पैरों तले रौंदा जा रहा है। खतरनाक ढलानों पर बिना मजबूत दीवारों या सेंसर के काम? ये तो मौत को न्योता देना है! हादसे के तुरंत बाद कंपनी ने कोई रेस्क्यू नहीं किया – न क्रेन, न डाइवर्स, बस खाली हाथ! परिणाम? घंटों की देरी, और अनिल की जिंदगी दांव पर। स्थानीय मजदूरों का आरोप है कि ओवरटाइम के चक्कर में रिस्की जोन में काम कराया जाता है, बिना हेलमेट या सेफ्टी गियर के। SECL अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं – क्या ठेकेदारों की जेब भरना मजदूरों की जान से ज्यादा जरूरी? ये लापरवाही न सिर्फ अनिल को निगल गई, बल्कि पूरे कोल बेल्ट में डर का साया फैला दिया। एक मजदूर ने फोन पर कहा, "हम तो कोयला निकालते हैं, लेकिन आज खुद कोयले की तरह जल रहे हैं!"
रेस्क्यू का ड्रामा: SDRF की जंग, उम्मीद की किरण
घटना की खबर मिलते ही SDRF की टीमें शहडोल पहुंचीं, जैसे कोई हीरो मूवी का क्लाइमेक्स! डाइवर्स पानी के गड्ढे में उतरे, क्रेनें मलबा हटाने लगीं, लेकिन गहराई और मिट्टी की चिपचिपाहट ने सबको पसीना-पसीना कर दिया। अब तक 12 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन न डोजर का टुकड़ा मिला, न अनिल का सुराग। पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है, और मजदूर यूनियन ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। अनिल के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल – पत्नी कहती हैं, "वो सुबह चला गया, अब शाम हो गई और वो लौटे नहीं!" SDRF के कमांडो रात भर ऑपरेशन चलाएंगे, ड्रोन और थर्मल कैमरों से सर्च। लेकिन सवाल वही – अगर कंपनी अलर्ट होती, तो क्या ये त्रासदी टल जाती? ये रेस्क्यू न सिर्फ अनिल को बचाने की कोशिश है, बल्कि खदानों में सुरक्षा सुधार की मांग का प्रतीक भी!
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