Oct 19, 2025
काली चौदस 2025: मां काली की पूजा का रहस्यमय तांत्रिक महत्व
काली चौदस 2025, जो दीपावली से एक दिन पहले 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी, नरक चतुर्दशी के नाम से भी जानी जाती है। यह पर्व केवल दीपों की सजावट तक सीमित नहीं, बल्कि अंधकार पर शक्ति की विजय का प्रतीक है। इस दिन मां काली की पूजा और तांत्रिक साधना का विशेष महत्व है। यह रात आंतरिक नकारात्मकता को दूर कर आत्मबल और चेतना के प्रकाश को जागृत करने का अवसर प्रदान करती है।
मां काली का प्रकटीकरण और नरकासुर वध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों ने तीनों लोकों में आतंक मचाया, तब मां दुर्गा के क्रोध से मां काली प्रकट हुईं। उनके विकराल रूप ने दैत्यों का संहार कर धर्म की पुनः स्थापना की। साथ ही, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि पर राक्षस नरकासुर का वध किया, जिससे प्रकाश और सत्य की विजय हुई। इस कारण काली चौदस तांत्रिक साधना और शक्ति जागरण की रात मानी जाती है।
पूजा का महत्व और विधान
पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में काली चौदस को काली पूजा के रूप में उत्साह से मनाया जाता है। भक्त मां काली को लाल फूल, नींबू, काले तिल और तेल के दीप अर्पित करते हैं। मान्यता है कि यह पूजा जीवन से नकारात्मकता को दूर करती है और आत्मिक शक्ति प्रदान करती है। यह रात आध्यात्मिक जागृति और भीतर के अंधकार को मिटाने का प्रतीक है।