Aug 10, 2025
पितृ पक्ष 2025: चंद्र ग्रहण के साथ शुरू होगा श्राद्ध, जानें प्रभाव और नियम
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा से हो रही है, जो इस बार विशेष संयोग के साथ होगी। इस दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा, जो भारत में दिखाई देगा। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण है। इस दौरान तर्पण, श्राद्ध और दान किए जाते हैं। लेकिन ग्रहण का असर क्या होगा और श्राद्ध के नियम क्या हैं, आइए जानें।
चंद्र ग्रहण का समय और सूतक काल
7 सितंबर 2025 को रात 9:58 बजे से चंद्र ग्रहण शुरू होगा, जो 8 सितंबर को तड़के 1:26 बजे समाप्त होगा। इसकी अवधि 3 घंटे 29 मिनट होगी। ग्रहण का सूतक काल 6 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण समाप्ति तक रहेगा। सूतक काल में धार्मिक कार्य वर्जित होते हैं, इसलिए पूर्णिमा श्राद्ध दोपहर 12:58 बजे से पहले करना उचित होगा।
पितृ पक्ष का महत्व और ग्रहण का प्रभाव
पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। मान्यता है कि पितर धरती पर आकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। लेकिन ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होती हैं, इसलिए इस समय श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है। ग्रहण के बाद शुभ मुहूर्त में श्राद्ध करना बेहतर होगा।
तर्पण की सही विधि
तर्पण के लिए जल, दूध, तिल, जौ और चावल मिलाएं। दक्षिण दिशा में मुख करके बाएं घुटने को जमीन पर टेकें और जल अर्पित करें। “ॐ पितृ देवतायै नमः” मंत्र का जाप करें। श्रद्धा और शुद्धता बनाए रखें।
क्या करें, क्या न करें
सूतक काल में मांसाहार, नशा और विवाद से बचें। गरीबों को दान दें और शांत वातावरण रखें। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और दान फलदायी होते हैं।