Aug 23, 2025
पांढुर्णा में गोटमार मेले में पत्थरबाजी, 190 घायल, तैनात हैं 600 जवान
पंकज कोर्डे पांढुर्णा : मध्य प्रदेश के पांढुर्णा में शनिवार को गोटमार मेला शुरू हुआ, जहां जाम नदी के किनारे सावरगांव और पांढुर्णा के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे हैं। सुबह 10 बजे शुरू हुए इस खूनी खेल में दोपहर 1:30 बजे तक 190 लोग घायल हो चुके हैं। प्रशासन ने धारा 144 लागू की है, साथ ही 600 पुलिस जवान और 200 स्वास्थ्यकर्मी तैनात हैं। यह 300 साल पुरानी परंपरा हर साल विवादों में रहती है।
खूनी परंपरा का आयोजन
पांढुर्णा में हर साल भाद्रपद अमावस्या को गोटमार मेला आयोजित होता है। यह परंपरा एक प्रेम कहानी से जुड़ी है, जिसमें सावरगांव की युवती और पांढुर्णा के युवक की पत्थरबाजी में मौत हो गई थी। लोग जाम नदी के बीच पलाश का पेड़ लगाकर झंडा बांधते हैं और उसे हासिल करने के लिए पत्थर फेंकते हैं। इस बार भी हजारों लोग इस जोशीले आयोजन में शामिल हुए।
घायलों की संख्या और चिकित्सा व्यवस्था
मेले में दोपहर 1:30 बजे तक 190 लोग पत्थरबाजी में घायल हो चुके हैं। प्रशासन ने घायलों के इलाज के लिए 6 अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए हैं, जहां 58 डॉक्टर और 200 मेडिकल स्टाफ तैनात हैं। गंभीर रूप से घायल लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भेजा जा रहा है। इसके बावजूद, पत्थरबाजी की तीव्रता कम नहीं हुई, और लोग परंपरा के नाम पर उत्साह दिखा रहे हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक इंतजाम
प्रशासन ने मेले को नियंत्रित करने के लिए कड़े इंतजाम किए हैं। कलेक्टर अजय देव शर्मा ने धारा 144 लागू की है, और 600 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है। फिर भी, पत्थरबाजी को पूरी तरह रोकना संभव नहीं हो सका। प्रशासन ने पहले रबर गेंदों से खेल आयोजित करने की कोशिश की, लेकिन लोग पत्थरों का ही उपयोग करते हैं।
दुखद इतिहास और सामाजिक प्रभाव
गोटमार मेले का इतिहास दुखद है। 1955 से 2023 तक इस खूनी खेल में 13 लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें एक परिवार के तीन सदस्य शामिल हैं। कई लोग स्थायी रूप से अंग-भंग हो चुके हैं। फिर भी, स्थानीय लोग इसे परंपरा और गर्व का प्रतीक मानते हैं। दूसरी ओर, जिन परिवारों ने अपनों को खोया, वे इस दिन को शोक के रूप में मनाते हैं।