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विश्व पर्यावरण दिवसः पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का हम लें संकल्प

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Jun 5, 2019

पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। आज विश्व पर्यावरण दिवस है, ऐसे मौके पर हम सभी को कोई ऐसा प्रण लेना चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों को साफ सुथरी हवा देने में मददगार हो सके।

पर्यावरण को लगातार हो रहे प्रदूषण के कारण

आज के समय में विकास की अंधाधुंध दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा। इससे हवा पानी सबमें जहर घुल गया है। जंगल काटे जा रहे, क्रंकीट के जंगल खड़े हो रहे हैं। नदियों, तालाबों का अतिक्रमण हो रहा है। जिससे वातावरण में लगातार प्रदूषण फैलता जा रहा है। यदि हम अभी से नहीं चेते तो आने वाले कुछ सालों में साफ हवा में सांस लेने के लिए सिर्फ पहाड़ और जंगल ही बचे रह जाएंगे। प्रदूषण लगातार हमारी सांसें कम कर रहा है। नए पैदा होने वाले कई बच्चों पर इसका असर भी दिख रहा है।

पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद नियम तय करने की आवश्यकता

देश की केंद्र सरकार की मंशा राष्ट्रीय नदी गंगा को भी राइन जैसी स्वच्छ व निर्मल बनाने की  है। इस क्रम में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत नमामि गंगे परियोजना शुरू की गई है। गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड भी इसमें शामिल है। करीब सवा दो साल के वक्फे में हुए प्रयासों के कुछ-कुछ सकारात्मक नतीजे नजर भी आने लगे हैं। लाहुल-स्पीति के मूलिंग गांव के लोगों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद नियम तय किए हैं और औरों के लिए मिसाल बने हैं। गांववालों ने जंगल में पेड़ काटने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। यदि कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो पांच से दस हजार रुपये का जुर्माना रखा है। हालांकि गांववासियों के इस निर्णय के बाद जंगल से एक भी पेड़ नहीं कटा है। इसी का नतीजा है आज गांव के आसपास का जंगल पूरी तरह से हरा भरा है। हमें भी चाहिए कि हम पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद के नियम तय करें और उस पर अटल रह कर स्वच्छ पर्यावरण बनाने में अपना सहयोग करें।