Feb 15, 2024
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला
- चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए बिक्री पर लगाई रोक
- स्टेट बैंक को बेचे गए बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी देनी होगी
What is Electoral Bonds - सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, 'काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है। चुनावी बांड योजना सूचना के अधिकार और सूचना की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। राजनीतिक दलों द्वारा फंडिंग की जानकारी का खुलासा न करना अव्यावहारिक है। यह योजना अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन है।' कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को तुरंत बंद करने का आदेश दिया है और एक नोटिस जारी कर कहा है, 'भारतीय स्टेट बैंक 31 मार्च तक चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के जरिए अब तक किए गए योगदान का पूरा ब्योरा देगा।' साथ ही चुनाव आयोग ने 13 अप्रैल तक अपनी वेबसाइट पर जानकारी साझा करने का भी निर्देश दिया है....
Electoral Bond पर Supreme Court ने लगाई रोक, जानें क्या है मामला -
चुनावी बांड पर तेज हुई सियासत -
इलेक्टोरल बांड पर पाबंदी लगते ही सियासी दलों में भी हलचल मच गई कहा जा सकता है की सियासी दलों को बड़ा झटका मिला है, खास कर वे दाल जिन्हे इलेक्टोरल बांड से चुनावी चंदा मिलता था। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से अगले कुछ हफ्तों के भीतर चंदा देने वालों के नाम उजागर करने को कहा है, उससे इस बात का पता चलेगा कि बीते कुछ सालों में किस औद्योगिक घराने से लेकर किस व्यक्ति ने कौन सी पार्टी को सबसे कितना चंदा दिया है।
चुनावी बांड क्या हैं?
सबसे पहले जानते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होते हैं... इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी फंड... दरअसल ये चुनावी फंड देने का एक तरीका है...यानी अगर आप अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को फंड देना चाहते हैं तो चुनावी बॉन्ड के जरिए फंड कर सकते हैं... यह बांड केवल राजनीतिक दलों के लिए घोषित किया गया है। बांड खरीदने के बाद आपको इसे राजनीतिक पार्टी को देना होगा, बांड जारी होने की तारीख से केवल 15 दिनों के लिए वैध है। यानी 15 दिन बाद बांड रद्द कर दिया जाएगा. 2017 में, केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक के माध्यम से संसद में चुनावी बांड योजना पेश की। संसद द्वारा पारित होने के बाद, चुनावी बांड योजना अधिसूचना 29 जनवरी 2018 को जारी की गई थी।
चुनावी बांड कहां से खरीदे जा सकते हैं?
चुनावी बांड स्टेट बैंक की शाखाओं से प्राप्त किये जा सकते हैं। जिसमें रु. 1,000, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं...कोई भी व्यक्ति, समूह या कंपनी चुनावी बांड खरीद सकता है। एकमात्र शर्त यह है कि दानकर्ता के पास एक बैंक खाता हो जिसमें केवाईसी विवरण उपलब्ध हो। चुनावी बांड पर प्राप्तकर्ता का नाम नहीं होता है।
चुनावी बांड कौन प्राप्त कर सकता है?
चुनावी बांड केवल उन राजनीतिक दलों को दान किया जा सकता है जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा में कम से कम एक प्रतिशत वोट हासिल किया हो। इस योजना के तहत, चुनावी बांड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों की अवधि के लिए खरीद के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित 30-दिवसीय छूट अवधि के दौरान भी जारी किया गया था।
ये बांड कैसे काम करते हैं?
चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी किये जाते हैं। सबसे छोटा बांड रु. 1,000 और सबसे बड़ा रु. 1 करोड़ है. बांड खरीद की संख्या पर कोई सीमा नहीं है। केवाईसी पूरा करने वाला कोई भी बैंक खाताधारक ये बांड खरीद सकता है। बाद में इसे किसी राजनीतिक दल को दान कर सकते हैं. फिर प्राप्तकर्ता पार्टी के सत्यापित खाते का उपयोग करके इसे नकदी में परिवर्तित कर सकता है।
क्या है चुनावी बांड विवाद -
दावा किया गया है कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले व्यक्ति या इसे प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल की जानकारी कहीं भी साझा नहीं की जाती है। यानी पूरी प्रक्रिया को बेहद गुप्त रखा जाता है. यही वजह है कि 2018 से ही चुनावी बॉन्ड विवादों में है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले निर्देश जारी किया था कि सभी पार्टियों को चुनावी फंड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी...
चुनावी बांड से किस पार्टी को मिला सबसे ज्यादा पैसा !
अलग - अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्तारूढ़ भाजपा को 2022-23 में चुनावी बांड के माध्यम से लगभग ₹1300 करोड़ प्राप्त हुए, जो उसी अवधि में कांग्रेस को उसी मार्ग से प्राप्त राशि से सात गुना अधिक था। चुनाव आयोग को सौंपी गई पार्टी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में BJP का कुल योगदान ₹2120 करोड़ था, जिसमें से 61 प्रतिशत चुनावी बांड से आया.....
Report - Ankit Tiwari