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स्कूलों के माध्यम से बन रहे हैं लेमीनेटेड प्रमाण-पत्र 

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Sep 18, 2016

भोपाल। राज्य शासन द्वारा स्कूलों में जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर देने के विशेष अभियान में अभी तक एक करोड़ 22 लाख 66 हजार 811 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं। जाति प्रमाण-पत्र डिजिटल हस्ताक्षर के साथ डिजिटल रिपॉजिटरी में भी सुरक्षित रखे जा रहे हैं। इससे भविष्य में जब चाहे इनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रति ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगी। सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने बताया कि अभी तक अनुसूचित-जाति के 25 लाख 6 हजार 43, अनुसूचित-जनजाति के 35 लाख 25 हजार 157, अन्य पिछड़ा वर्ग के 62 लाख 12 हजार 704, विमुक्त जाति के 21 हजार 825 और घुमक्कड़ एवं अर्द्ध-घुमक्कड़ जाति के 1082 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये हैं।

राज्य शासन ने अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग को जाति प्रमाण-पत्र जारी करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिये प्रक्रिया को सरल किया है। जाति प्रमाण-पत्र जारी करने को लोक सेवा गारंटी में शामिल कर कम्प्यूटराइज्ड तरीके से एसडीएम के डिजिटल हस्ताक्षरित जाति प्रमाण-पत्र ऑनलाइन जारी करने की व्यवस्था की है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जाति प्रमाण-पत्र के लिये भटकना न पड़े, इसके लिये कक्षा-एक में प्रवेश के समय ही उनके स्कूलों से ही आवेदन लेकर डिजिटल हस्ताक्षरित जाति प्रमाण-पत्र देने का विशेष अभियान एक जुलाई, 2014 से शुरू किया गया है।

सर्वाधिक 4 लाख से अधिक जाति प्रमाण-पत्र बनवाने वाले दो जिलों में इंदौर और धार शामिल है। इंदौर में 4 लाख 34 हजार 754 और धार में 4 लाख 16 हजार 654 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।तीन लाख से अधिक जाति प्रमाण-पत्र बनवाने वाले 10 जिलों में सागर में 3 लाख 87 हजार 258, खरगोन में 3 लाख 77 हजार 234, छतरपुर में 3 लाख 75 हजार 200, छिन्दवाड़ा में 3 लाख 71 हजार 599, शिवपुरी में 3 लाख 40 हजार 953, बालाघाट में 3 लाख 38 हजार 995, जबलपुर में 3 लाख 32 हजार 922, रीवा में 3 लाख 15 हजार 992, बैतूल में 3 लाख 2 हजार 719 और सतना में 3 लाख 2 हजार 582 जाति प्रमाण-पत्र बनवाये गये।