Jul 28, 2025
छतरपुरा के सरकारी स्कूल की जर्जर हालत: शिक्षक ने छत पर चढ़ाई पन्नी, बच्चों की पढ़ाई खतरे में
प्रीतम मांझी: रायसेन जिले के छतरपुरा गांव का सरकारी स्कूल अपनी जर्जर स्थिति के कारण सुर्खियों में है। बारिश में छत से टपकता पानी और दीवारों में पड़ी दरारें बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि शिक्षकों को मजबूरी में छत पर पन्नी चढ़ाकर कक्षाओं को चलाने की कोशिश करनी पड़ रही है। बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की उदासीनता और बजट की कमी का हवाला देकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
शिक्षकों की मेहनत, प्रशासन की लापरवाही
स्कूल की बदहाल इमारत ने शिक्षकों और बच्चों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। शिक्षक प्रकाश मुंदरिया ने बताया, "हमने कई बार अधिकारियों और पंचायत को लिखित और मौखिक शिकायत की, लेकिन हर बार बजट की कमी का बहाना बनाकर टाल दिया जाता है।" शिक्षिका चन्द्रकला अहिरवार ने चिंता जताते हुए कहा, "बारिश में कक्षाएं पूरी तरह गीली हो जाती हैं, और दीवारों की दरारें किसी बड़े हादसे का संकेत दे रही हैं।" गांववासी अब इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि स्कूल की मरम्मत जल्द से जल्द की जाए। प्रशासन की चुप्पी से सवाल उठता है कि क्या बच्चों का भविष्य और उनकी सुरक्षा यूं ही जोखिम में रहेगी?
बच्चों का भविष्य अधर में, ग्रामीणों में नाराजगी
छतरपुरा के सरकारी स्कूल की जर्जर हालत न केवल बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनकी जान को भी खतरे में डाल रही है। बारिश के दौरान कक्षाओं में पानी भर जाने से बच्चे ठीक से बैठ भी नहीं पाते हैं, जिससे पढ़ाई का माहौल पूरी तरह बिगड़ जाता है। इसे लेकर ग्रामीणों भी काफी में भी गुस्सा हैं, उनका कहना है कि हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है और प्रशासन आंखों मूंदे बैठा है। हमनें स्कूल की मरम्मत के लिए कई बार सामूहिक आवेदन दिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यदि जल्द इस समस्या का निपटारा नहीं किया गया तो हम सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। यह स्थिति न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को भी दर्शाती है।