Sep 11, 2025
बीजेपी में ‘एक परिवार-एक पद’ का फॉर्मूला लागू, नेताओं के रिश्तेदारों को कार्यकारिणी से हटाया
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने संगठन में परिवारवाद पर रोक लगाने के लिए ‘एक परिवार-एक पद’ का सख्त फॉर्मूला लागू किया है। इस नीति के तहत जिला कार्यकारिणी से कई बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को हटा दिया गया है। शिकायतों के बाद प्रदेश नेतृत्व ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री की बहन, कैबिनेट मंत्री की बेटी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के बेटे से इस्तीफा ले लिया है। यह कदम पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने और परिवारवाद की आलोचना को रोकने के लिए उठाया गया है।
जिला कार्यकारिणी में रिश्तेदारों की ‘नो एंट्री’
हाल ही में जारी जिला कार्यकारिणी में कुछ नेताओं के परिजनों को पदाधिकारी बनाया गया था, जिसकी शिकायत प्रदेश नेतृत्व तक पहुंची। इसके बाद तत्काल एक्शन लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन को कार्यकारिणी से हटाया गया। मंडला जिला कार्यकारिणी में शामिल कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके की बेटी को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसी तरह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे ने भी निजी कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व ने सभी जिला प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि सांसदों, विधायकों या मंत्रियों के परिजनों को कार्यकारिणी में शामिल न किया जाए। यह कदम योग्यता आधारित चयन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
प्रदेश कार्यकारिणी में भी सख्ती
बीजेपी का यह फॉर्मूला केवल जिला स्तर तक सीमित नहीं रहेगा। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कार्यकारिणी में भी यही नियम लागू होगा। वर्तमान में सात सांसद, एक कैबिनेट मंत्री और छह विधायक कार्यकारिणी में पदाधिकारी हैं, जिन्हें भी हटाया जा सकता है। इसके अलावा, 14 प्रदेश उपाध्यक्ष, पांच महामंत्री और 13 प्रदेश मंत्रियों पर भी इस नीति का असर पड़ सकता है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि यह कदम संगठन में नई ऊर्जा लाएगा और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगा। यह नीति न केवल परिवारवाद पर लगाम लगाएगी, बल्कि पार्टी की छवि को भी मजबूत करेगी।