Sep 1, 2025
भव्य चांदी के आभा मंडल में विराजे गणपति, मिट्टी से बनी भव्य प्रतिमा
मध्यप्रदेश के एक मंदिर में भक्तों की आस्था ने अनोखा इतिहास रचा है। यहाँ 40 किलोग्राम चांदी से निर्मित भव्य आभा मंडल भगवान गणेश को और भव्य बनाता है। भक्तों के सहयोग से बना यह मंदिर अब जन-जन की आस्था का केंद्र है। 1996 में मिट्टी की प्रतिमा से शुरू हुई यह यात्रा आज भव्य मंदिर और चांदी के आभा मंडल के साथ नई पहचान बना रही है।
मंदिर की ऐतिहासिक शुरुआत
1996 में इस मंदिर में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो सात साल तक टीन शेड में विराजित रही। भक्तों ने मंदिर निर्माण का संकल्प लिया और लकी ड्रॉ के माध्यम से धन जुटाया। 11 मई 2005 को अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेश के साथ माता रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा स्थापित की गई। यह मंदिर आज भक्तों की आस्था और सहयोग का प्रतीक बन चुका है, जहाँ हर दिन श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
40 किलो चांदी का आभा मंडल
मंदिर समिति ने भगवान गणेश के लिए चांदी का आभा मंडल बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए 40 किलोग्राम चांदी भक्तों के सहयोग से जुटाई गई। आभा मंडल के निर्माण में साढ़े चार लाख रुपये की लकड़ी और चार लाख रुपये की मजदूरी लगी। यह भव्य आभा मंडल मंदिर की शोभा बढ़ाता है और भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गणेश उत्सव के दौरान यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
शुभ-लाभ की प्रतिमा की योजना
मंदिर के पुजारी ने बताया कि चांदी के आभा मंडल के बाद अब भगवान गणेश के पुत्र शुभ-लाभ की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की योजना है। इसके लिए तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। यह कदम मंदिर को और अधिक आध्यात्मिक और भव्य बनाएगा। भक्तों का उत्साह और सहयोग इस मंदिर को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है, जो आस्था और समर्पण का अनूठा उदाहरण है।