Aug 8, 2025
"महाराजा बोले—आईए राजा!" भोपाल में सिंधिया ने दिग्विजय का हाथ पकड़कर मंच पर बुलाया, पांच साल बाद सियासत में नई सुगबुगाहट
भोपाल में एक निजी कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश की राजनीति की दो विरोधी ध्रुव—ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह—एकसाथ मंच पर दिखे। खास बात यह रही कि खुद सिंधिया मंच से नीचे उतरकर दिग्विजय सिंह का हाथ पकड़कर उन्हें ऊपर लाए और सम्मानपूर्वक स्थान दिया। पांच साल पुरानी राजनीतिक दरार के बाद इस मुलाकात को 'सियासत की नई सुबह' माना जा रहा है। इसका वीडियो सामने आते ही अटकलों का दौर तेज हो गया है।
मंच से नीचे उतरे महाराज, राजा का किया स्वागत
कार्यक्रम भोपाल के रतीबड़ क्षेत्र के एक निजी स्कूल के उद्घाटन का था। जैसे ही सिंधिया ने दिग्विजय सिंह को दर्शकदीर्घा में बैठा देखा, वे मंच से नीचे उतरे। हाथ जोड़कर अभिवादन किया और फिर उनका हाथ पकड़कर मंच की ओर ले चले। यह क्षण इतना असामान्य था कि मौजूद सभी कैमरे उन्हीं पर टिक गए।
पांच साल बाद आई ऐसी तस्वीर
मार्च 2020 में सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद यह पहला मौका था जब दोनों नेता सार्वजनिक मंच पर एकसाथ नजर आए। उस इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। तब से दोनों नेताओं के बीच खुली बयानबाजी होती रही है। ऐसे में यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला रहा बल्कि सियासी संकेतों से भरपूर भी था।
क्या बदल रहे हैं सियासी समीकरण?
राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को 2028 की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। एक ओर सिंधिया ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कुछ असहज दिखते हैं, तो दूसरी ओर दिग्विजय सिंह की पार्टी में सक्रियता बढ़ी है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयानों ने भी माहौल में हलचल पैदा की है। ऐसे में यह मेल-मुलाकात क्या कोई बड़ा संदेश दे रही है, यह आने वाला वक्त बताएगा।
इतिहास से जुड़ी है यह सियासी केमिस्ट्री
गौरतलब है कि सिंधिया और दिग्विजय, दोनों ही राजनीतिक घरानों से आते हैं। राघौगढ़ रियासत कभी ग्वालियर साम्राज्य का हिस्सा रही है, और दिग्विजय सिंह उस क्षेत्र के जागीरदार रहे हैं। ऐसे में "महाराजा और राजा" का यह साथ आना ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक दोनों ही रूप में खास मायने रखता है।