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सुप्रीम कोर्ट का दोहरा फैसला: सेंगर को जेल में ही रहना होगा, अरावली परिभाषा पर भी ब्रेक

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Dec 29, 2025

सुप्रीम कोर्ट का दोहरा फैसला: सेंगर को जेल में ही रहना होगा, अरावली परिभाषा पर भी ब्रेक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने सोमवार को दो महत्वपूर्ण मामलों में अहम फैसले सुनाए। एक तरफ 2017 के चर्चित उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की राहत पर रोक लगा दी, तो दूसरी तरफ अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा से जुड़े अपने ही नवंबर के आदेश को स्थगित कर दिया। इन फैसलों से जहां पीड़िता और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को राहत मिली, वहीं कानूनी बहस को नई दिशा भी मिली।

उन्नाव मामले में सेंगर को झटका

चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर के उस आदेश पर तुरंत रोक लगा दी, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर सशर्त जमानत दी गई थी। सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और सेंगर पहले से ही पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के अलग मामले में सजा काट रहे हैं, इसलिए उनकी रिहाई नहीं हो सकती। कोर्ट ने सेंगर को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह एक नाबालिग के साथ घिनौना अपराध है, जिसमें प्रभावशाली पद का दुरुपयोग हुआ। सीजेआई ने पूछा कि क्या नाबालिग पीड़िता होने पर लोक सेवक की परिभाषा बदल जाती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्रता छीनने से गुरेज नहीं किया जा सकता। पीड़िता खुद कोर्ट पहुंची और सुरक्षा की मांग की।

अरावली की नई परिभाषा पर स्टे

अरावली पहाड़ियों की परिभाषा और खनन नियमन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर के अपने फैसले पर ही रोक लगा दी। कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण की चिंताओं को देखते हुए मामले की गहन जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का संकेत दिया। अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी। इससे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली क्षेत्रों में नए खनन पट्टों पर फिलहाल ब्रेक लगा रहेगा।

ये फैसले न्यायिक सतर्कता का प्रतीक हैं, जो गंभीर अपराधों और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते दिखते हैं।

Report By:
Monika