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एमपी OBC आरक्षण का सस्पेंस: सुप्रीम कोर्ट में फिर टली सुनवाई, क्या 27% कोटा अब भी लटका रहेगा?

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Oct 9, 2025

एमपी OBC आरक्षण का सस्पेंस: सुप्रीम कोर्ट में फिर टली सुनवाई, क्या 27% कोटा अब भी लटका रहेगा?

मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण का मामला अब एक थ्रिलर फिल्म जैसा हो गया है—हर सुनवाई में ट्विस्ट, देरी का ड्रामा और लाखों उम्मीदवारों की सांसें थमी हुईं। 2019 में कमलनाथ सरकार द्वारा पास 27% OBC कोटा बिल, जो नौकरियों और शिक्षा में सामाजिक न्याय का वादा था, आज सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में उलझा पड़ा है। बुधवार को फिर सुनवाई टल गई, जब राज्य सरकार ने 'तकनीकी जटिलताओं' का हवाला देकर वक्त मांगा। क्या यह रणनीतिक देरी है या वाकई तैयारी की कमी? कांग्रेस चिल्ला रही है 'तकनीकी बहाना', बीजेपी कह रही 'पूर्ण न्याय के लिए जरूरी'। आइए, इस आरक्षण सागा की परतें खोलें, जहां 73% कुल कोटा 50% कैप को चैलेंज कर रहा है। लाखों OBC युवाओं की किस्मत दांव पर है—क्या न्याय मिलेगा या फिर इंतजार की लंबी रात?

आरक्षण का सफर: 14% से 27% तक का संघर्ष

यह कहानी शुरू होती है 2019 से, जब कांग्रेस सरकार ने OBC आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। मकसद? राज्य की 48% OBC आबादी को उनका हक दिलाना, जो शिक्षा-नौकरियों में हमेशा पिछड़ी रही। लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद हाईकोर्ट में चुनौती, स्टे ऑर्डर और सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर—सब कुछ रुक गया। 2022 में सरकार ने '87:13 फॉर्मूला' अपनाया, जहां 87% भर्तियां हो रही हैं लेकिन 13% पोस्ट (27-14%=13%) लटके हुए। अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा—'कोई स्टे नहीं, लागू करो!' फिर भी, 75 याचिकाओं का पुलिंदा SC में पहुंचा। राज्य ने हलफनामा दाखिल कर तर्क दिया कि OBC+SC+ST मिलाकर 85% आबादी पिछड़ी है, तो 73% कोटा 'असाधारण परिस्थिति' में जायज। इंद्रा साहनी केस का हवाला देकर कहा—50% कैप तोड़ना जरूरी। लेकिन विपक्षी याचिकाकर्ता चिल्लाते हैं: 'मेरिट का कत्ल मत करो!'

सुनवाई का ड्रामा: देरी का राज क्या?

बुधवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने हंगामा मच गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर केएम नटराज और एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह की टीम ने 'तकनीकी दिक्कतें' बताकर टाइम मांगा। कोर्ट भड़क गया—'बार-बार देरी? दिवाली छुट्टियां नजदीक हैं, जल्दी करो!' बेंच ने सख्त टाइमलाइन बनाने को कहा, दैनिक सुनवाई का आदेश दिया। छत्तीसगढ़ केस को अलग करने की गुजारिश मानी गई। अगली सुनवाई गुरुवार (9 अक्टूबर) को, लेकिन क्या फिर टलेगी? कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तीखा हमला बोला: 'मोहन यादव सरकार जानबूझकर टाल रही, OBC को धोखा!' सीएम ने पलटवार: 'जल्दबाजी से OBC को नुकसान, हम पूर्ण न्याय चाहते हैं।' 15,000 दस्तावेजों का ढेर, नया पैनल और वकील पी विल्सन की नियुक्ति—सब कुछ सस्पेंस बढ़ा रहा। क्या गुरुवार को फैसला आएगा या फिर नया ट्विस्ट?

राजनीतिक तीर-कमान: कांग्रेस vs बीजेपी का महायुद्ध

यह सिर्फ कानूनी केस नहीं, बल्कि एमपी की राजनीति का बैटलग्राउंड है। OBC और ट्राइबल वोट बैंक (करीब आधा वोटर) दांव पर। कांग्रेस चेतावनी दे रही: 'हम लड़ेगे जब तक 27% लागू न हो!' बीजेपी जोर दे रही पिछड़ापन रिपोर्ट्स और 1981 जनगणना पर—OBC 48% हैं, फिर भी प्रतिनिधित्व न के बराबर। हाईकोर्ट ने फरवरी 2025 में 87:13 फॉर्मूले को हरी झंडी दी, लेकिन SC में उलझन। एमपीपीएससी भर्तियां रुकीं, युवा सड़कों पर—'आरक्षण दो, नौकरी दो!' सरकार ने मुआवजा नहीं, बल्कि इंटरिम रिलीफ का वादा किया। विपक्ष का आरोप: 'बीजेपी OBC को बरगला रही, वोट लेने के बाद भूल गई।' सीएम यादव बोले: 'हर कैटेगरी को फायदा, जल्दबाजी हानिकारक।' यह जंग SC के फैसले पर निर्भर—अगर 27% मंजूर, तो एमपी मॉडल बनेगा; वरना, सामाजिक न्याय का सपना चूर!

भविष्य की उम्मीद: न्याय की दौड़ में क्या अंत?

यह केस सिर्फ एमपी का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बनेगा। क्या SC 50% कैप में छूट देगा? या हाईकोर्ट भेजेगा? लाखों OBC छात्र-युवा इंतजार में तड़प रहे—'हमारा हक कब?' सरकार को सलाह: पारदर्शिता बढ़ाओ, देरी बंद करो। अगर गुरुवार को सुनवाई होती है, तो बड़ा खुलासा हो सकता। लेकिन सच्चाई यही है—आरक्षण न्याय है, देरी अन्याय। एमपी के OBC भाइयों-बहनों, धैर्य रखो, न्याय आएगा। यह थ्रिलर का क्लाइमेक्स नजदीक है!

 

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Report By:
Monika