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काल भैरव जयंती 2025: भय और शत्रु से मुक्ति का शुभ दिन

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Nov 9, 2025

काल भैरव जयंती 2025: भय और शत्रु से मुक्ति का शुभ दिन

 काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025, बुधवार को मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि पर मनाई जाएगी। भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की यह जयंती भक्तों को काल, भय, शत्रु और सभी दोषों से मुक्ति दिलाती है। विधिवत पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा देशभर के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं, जहां दर्शन मात्र से संकट दूर हो जाते हैं।

प्रमुख मंदिरों का विशेष महत्व

काशी (वाराणसी) का श्री काल भैरव मंदिर काशी का कोतवाल माना जाता है। बाबा विश्वनाथ की यात्रा इनके दर्शन बिना अधूरी रहती है। उज्जैन का श्री काल भैरव मंदिर अष्ट भैरवों में प्रमुख है, जहां मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है, जो श्रद्धा और कौतूहल दोनों जगाती है।

प्राचीन स्थल जहां दर्शन से मिलता तुरंत लाभ

नई दिल्ली का बटुक भैरव मंदिर पांडवकालीन है, जहां शिव के बाल रूप की पूजा सभी आपदाओं का नाश करती है। नैनीताल के घोड़ाखाल बटुक भैरव मंदिर को गोलू देवता कहते हैं; मन्नत पूरी होने पर भक्त घंटियां चढ़ाते हैं। पुराना किला स्थित किलकारी भैरव मंदिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत प्रसिद्ध है।

दोष और संकट निवारण के उपाय

‘दंडनायक’ काल भैरव की आराधना से काल भय, अकाल मृत्यु और शत्रु बाधा दूर होती है। राहु, केतु, शनि पीड़ित जातकों के लिए यह पूजा ग्रह दोष शांत करती है। भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का नाश स्वतः हो जाता है।

समृद्धि और शांति के खास अनुष्ठान

नींबू की माला चढ़ाने से कालसर्प दोष दूर होता है। सरसों तेल का दीपक जलाएं और काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं तो धन हानि रुकती है, कष्ट मिटते हैं। इस पावन दिन सच्ची भक्ति से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

Report By:
Monika