Aug 28, 2025
ग्वालियर का 350 साल पुराना अर्जी वाला गणेश मंदिर, जहां पूरी होती हैं हर मनोकामनाएं
गणेशोत्सव के अवसर पर देशभर में भक्तों का उत्साह चरम पर है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित 350 साल पुराना अर्जी वाला गणेश मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां गणेश चतुर्थी पर हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। इस मंदिर की चमत्कारी प्रतिमा और इतिहास इसे विशेष बनाते हैं। भक्त सच्चे मन से अर्जी लगाकर मनोकामनाएं मांगते हैं, जो पूरी होने की मान्यता है।
चमत्कारी प्रतिमा का इतिहास
ग्वालियर का अर्जी वाला गणेश मंदिर अपनी चमत्कारी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यह प्रतिमा 1980 में स्वयं प्रकट हुई थी। पहले लोग सड़क किनारे एक बड़े पत्थर की पूजा करते थे, जो बाद में गणेशजी की दिव्य मूर्ति के रूप में सामने आया। इस प्रतिमा का वजन लगभग एक क्विंटल है। इसके दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि विराजमान हैं, और इसे सिद्धि योग गणेश के नाम से भी जाना जाता है।
विशेष पूजा और मान्यताएं
गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाले 11 दिनों तक मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर परिसर रोशनी, भजन-कीर्तन और भक्तों के जयकारों से गूंज उठता है। मान्यता है कि 7 या 11 बुधवार तक सच्चे मन से प्रार्थना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। गणेशजी को केवल राजस्थान से लाए गए मोटी बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जाता है।
कुंवारों के गणेश की खासियत
इस मंदिर को अर्जी वाला, कांच वाला और कुंवारों का गणेश भी कहा जाता है। विवाह योग्य युवक-युवतियां यहां अर्जी लगाकर शादी की मनोकामना मांगते हैं, जो जल्दी पूरी होती है। विवाहित लोग भी पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति के लिए दर्शन करते हैं। गणेशजी की अनोखी पद्मासन मुद्रा, विद्या और फरसा धारण किए हुए, और दो मूषकों के साथ यह प्रतिमा भक्तों को ज्ञान और समृद्धि प्रदान करती है।
भक्तों की अपार भीड़
बुधवार के दिन मंदिर में भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ती है कि कदम रखने की जगह नहीं मिलती। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन और अर्जी लगाने आते हैं। भक्तों का विश्वास है कि सच्चे मन से मांगी गई हर अर्जी गणेशजी पूरी करते हैं। यह मंदिर न केवल ग्वालियर, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।