Aug 22, 2025
पांढुर्णा गोटमार मेला: 23 अगस्त को पत्थरबाजी और खून की परंपरा, 15 की मौत
पांढुर्णा में 23 अगस्त को विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेला आयोजित होगा। जाम नदी पर पांढुर्णा और सावरगांव के लोग सदियों पुरानी परंपरा के तहत एक-दूसरे पर पत्थर बरसाएंगे। पोला पर्व के दूसरे दिन होने वाले इस मेले में चंडिका मंदिर में पूजा के बाद पत्थरबाजी शुरू होगी। प्रशासन ने धारा 144 लागू की, लेकिन परंपरा की तैयारियां जोरों पर हैं। मेले में अब तक 15 लोगों की जान जा चुकी है।
मेले की कहानियां और किवदंतियां
गोटमार मेले की शुरुआत को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। एक किवदंती के अनुसार, पांढुर्णा के एक युवक और सावरगांव की युवती के प्रेम के कारण यह परंपरा शुरू हुई। प्रेमी युगल को रोकने के लिए सावरगांव के लोगों ने पत्थर फेंके, जवाब में पांढुर्णा वालों ने भी पथराव किया। इस घटना में प्रेमी युगल की मौत हो गई, जिसके बाद यह परंपरा शुरू हुई। दूसरी कहानी भोंसला राजा के सैन्य युद्धाभ्यास से जुड़ी है, जहां सैनिक निशानेबाजी और पत्थरबाजी का अभ्यास करते थे।
प्रशासन की नाकाम कोशिशें
प्रशासन ने गोटमार मेले को रोकने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन सभी असफल रहे। रबर बॉल से खेल का सुझाव भी नाकाम रहा, क्योंकि लोग पत्थरबाजी पर अड़े रहे। मानवाधिकार आयोग की आपत्ति के बावजूद परंपरा नहीं रुकी। इस बार कलेक्टर अजय देव शर्मा और एसपी सुंदर सिंह कनेश के नेतृत्व में 600 पुलिसकर्मी तैनात होंगे।
खोए अपनों का दर्द
गोटमार मेला जहां उत्साह लाता है, वहीं कई परिवारों के लिए दर्द भी ताजा करता है। मेले में अब तक कई लोग अपने पति, बेटे या भाई को खो चुके हैं। घायलों के जख्म हर साल मेले के दौरान हरे हो जाते हैं।